भारत के सबसे चर्चित एडटेक स्टार्टअप बायजू के संस्थापक Byju Raveendran ने एक बार फिर सुर्खियों में जगह बनाई है। साल 2023 के अंत से भारत से बाहर रह रहे रविंद्रन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक भावुक संदेश साझा किया, “टूटा हूँ, पर हारा नहीं। हम फिर उठ खड़े होंगे।” यह पोस्ट उस कंपनी के लिए नई उम्मीद की किरण लेकर आई है, जो कभी 22 बिलियन डॉलर की वैल्यूएशन के साथ देश की सबसे मूल्यवान स्टार्टअप्स में शुमार थी, लेकिन अब निवेशकों से टकराव, कर्ज का बोझ और वित्तीय संकट से जूझ रही है।
Byju Raveendran का सफर: शिखर से संकट तक
Byju Raveendran ने X पर अपनी पुरानी तस्वीर के साथ कंपनी के 20 साल के कोई छिपावट नहीं, सिर्फ सच,” उन्होंने लिखा। बायजू की कहानी किसी प्रेरणादायक फिल्म से कम नहीं। 2011 में थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड के तौर पर शुरू हुई यह कंपनी 2015 में बायजू लर्निंग ऐप के साथ देशभर में छा गई। 2022 तक इसकी वैल्यूएशन 22 बिलियन डॉलर तक पहुंची, लेकिन इसके बाद शुरू हुआ इसका पतन।
Broke, not Broken. We will rise again. pic.twitter.com/dAekepwCtf
— Byju Raveendran (@ByjuofBYJUS) March 30, 2025
रविंद्रन ने बताया कि बायजू ने 9 सालों में 2,15,000 नए ग्रेजुएट्स को नौकरी दी, जिन्हें बिना अनुभव के 6 लाख रुपये सालाना की न्यूनतम सैलरी मिली। “ये 2 लाख युवा, जिनके पास अनुभव शून्य था, लेकिन प्रतिभा और जोश असीमित था, उन्होंने बायजू को बनाया। आज वे हमारी अर्थव्यवस्था का हिस्सा हैं। कुछ उद्यमी बने और नौकरियां पैदा कीं। उन्हें बस एक मौका चाहिए था,” उन्होंने कहा।
दुबई में रहने की मजबूरी: भागने का नहीं, इलाज का सवाल
साल 2023 के अंत से Byju Raveendran भारत से बाहर हैं, जिसके चलते कई लोगों ने कहा कि वे संकट से बचने के लिए दुबई भाग गए। लेकिन अक्टूबर 2024 में एक वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने साफ किया, “यह बहुत दुखद है कि लोग सोचते हैं कि मैं भाग गया। मैं अपने पिता के इलाज के लिए एक साल के लिए दुबई आया था, जो अब भी जारी है। मैं यह साफ करना चाहता हूँ कि मैं भागा नहीं।” इस दौरान उन्होंने निवेशकों को कंपनी की परेशानियों का जिम्मेदार ठहराया और बायजू को फिर से खड़ा करने की अपनी योजना साझा की।
संकट की जड़: क्या हुआ गलत?
बायजू की गिरावट की कहानी कई गलत फैसलों से जुड़ी है। 2022 में अपने चरम पर कंपनी ने आक्रामक तरीके से 24 से ज्यादा स्टार्टअप्स का अधिग्रहण किया, जिसमें आकाश एजुकेशनल सर्विसेज (950 मिलियन डॉलर) और व्हाइटहैट जूनियर (300 मिलियन डॉलर) जैसे बड़े नाम शामिल थे। लेकिन इस तेज विस्तार ने कंपनी को कर्ज के जाल में फंसा दिया। निवेशकों का भरोसा टूटा, कर्मचारियों की छंटनी हुई, और वित्तीय रिपोर्ट्स समय पर जमा न होने से नियामक जांच शुरू हो गई। आज बायजू की वैल्यूएशन शून्य के करीब पहुंच चुकी है, जैसा कि Byju Raveendran ने खुद स्वीकार किया।
X पर एक पोस्ट में उन्होंने लिखा, “जब हम अपनी कंपनी को फिर से लॉन्च करेंगे—जो मुझे लगता है जल्द होगा—हम अपने पुराने बायजू कर्मचारियों को ही दोबारा लेंगे।” उनकी यह ‘हाइपर-ऑप्टिमिज्म’ कुछ को अटपटी लग सकती है, लेकिन वे कहते हैं, “नंबर वन बनने के लिए आपको थोड़ा अलग होना पड़ता है।”
निवेशकों से टकराव: कौन जिम्मेदार?
Byju Raveendran ने निवेशकों को अपनी मुश्किलों का सबसे बड़ा कारण बताया। उनका कहना है कि जब अमेरिकी लेंडर्स ने 1.2 बिलियन डॉलर के टर्म लोन में डिफॉल्ट का दावा किया और डेलावेयर कोर्ट में केस दायर किया, तो बोर्ड के तीन बड़े सदस्यों—प्रोसस, सोफिना और पीक XV—ने एक साथ इस्तीफा दे दिया। “उनके जाने से फंड जुटाना मुश्किल हो गया,” उन्होंने कहा। इन निवेशकों ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) में रविंद्रन को अयोग्य घोषित करने और बोर्ड भंग करने की मांग की, जिसे रविंद्रन ने गैरकानूनी करार दिया।
बायजू का भविष्य: फिर से उड़ान की तैयारी
Byju Raveendran के पास बायजू को फिर से खड़ा करने की ठोस योजना है:
- नई फंडिंग: वे मानते हैं कि बायजू का ब्रांड अभी भी मजबूत है। उनका दावा है कि 2025 में 5,500 करोड़ रुपये का रेवेन्यू संभव है, जो नए निवेशकों को लुभा सकता है।
- प्रोफेशनल मैनेजमेंट: परिवार अब पीछे हटेगा और प्रोफेशनल्स को कमान दी जाएगी। निवेशकों से भी मैनेजमेंट में शामिल होने की अपील की गई है।
- खर्चों में कटौती: 1.2 बिलियन डॉलर के टर्म लोन को छोड़कर, अन्य देनदारियों को 75 मिलियन से घटाकर 50 मिलियन डॉलर करने का लक्ष्य है।
रविंद्रन ने यह भी कहा, “हमारी सबसे बड़ी ताकत हमारे लोग हैं। एक बार रीलॉन्च होने के बाद, हम अपने पुराने कर्मचारियों को प्राथमिकता देंगे।” उनकी यह रणनीति न सिर्फ कर्मचारियों का भरोसा जीतने की कोशिश है, बल्कि कंपनी की पुरानी पहचान को वापस लाने का प्रयास भी है।
भारत के लिए सबक: स्टार्टअप्स का भविष्य
Byju Raveendran की कहानी भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए एक बड़ा सबक है। जिस तरह बायजू ने शिक्षा को डिजिटल बनाकर लाखों बच्चों तक पहुंचाया, उसी तरह उसकी गिरावट से यह साफ होता है कि तेज विस्तार और कॉर्पोरेट गवर्नेंस में चूक कितनी महंगी पड़ सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि बायजू का पुनर्जनन भारत के एडटेक सेक्टर को नई दिशा दे सकता है, बशर्ते पारदर्शिता और निवेशक भरोसा बहाल हो।
सोशल मीडिया पर चर्चा: लोगों की राय
X पर Byju Raveendran की पोस्ट्स ने खूब चर्चा बटोरी। एक यूजर ने लिखा, “बायजू का जोश देखकर अच्छा लगा, लेकिन कर्ज का बोझ कैसे उठेगा?” वहीं, एक अन्य ने कहा, “अगर वे सच में वापसी करते हैं, तो यह भारतीय स्टार्टअप्स के लिए मिसाल होगी।” उनकी बातों से साफ है कि लोग अभी भी बायजू की कहानी से जुड़े हुए हैं।
निष्कर्ष: उम्मीद की नई शुरुआत
Byju Raveendran का जुनून और जिद उन्हें भीड़ से अलग बनाती है। “टूटा हूँ, पर हारा नहीं”—यह नारा सिर्फ उनकी कहानी नहीं, बल्कि हर उस शख्स के लिए प्रेरणा है जो मुश्किलों में भी हिम्मत नहीं हारता। क्या बायजू सच में फिर से उड़ान भरेगा? यह सवाल वक्त के गर्भ में है, लेकिन रविंद्रन की यह कोशिश निश्चित रूप से एक नई उम्मीद जगाती है।
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