RBI Monetary Policy Meeting: नमस्कार दोस्तों, कैसे हो आप सभी? आशा है कि आप सभी बहुत अच्छे होंगे। दोस्तो भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की तीन दिवसीय मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक 4 दिसंबर से शुरू हो गई है। इस बैठक में सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या केंद्रीय बैंक नकद आरक्षित अनुपात (Cash Reserve Ratio – CRR) में कटौती का ऐलान करेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि भले ही रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा जाएगा, लेकिन नकद आरक्षित अनुपात में कटौती के संकेत मिल रहे हैं। यह कदम वर्तमान में चल रही तरलता (liquidity) की तंगी और धीमी आर्थिक विकास दर को देखते हुए महत्वपूर्ण हो सकता है।
नकद आरक्षित अनुपात (CRR) क्या है?
दोस्तों CRR, वह प्रतिशत है जो बैंकों को अपनी कुल जमा राशि का एक निश्चित हिस्सा आरबीआई के पास रिजर्व के रूप में रखना होता है। वर्तमान में यह अनुपात 4.5% है। बैंक इस राशि पर कोई ब्याज नहीं कमाते।
सीआरआर में कटौती का मतलब है कि बैंकों के पास अधिक धनराशि उपलब्ध होगी, जिसे वे उधार देने में उपयोग कर सकते हैं। यह कदम आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और तरलता की तंगी को कम करने में मदद कर सकता है।
क्या 6 दिसंबर को CRR कटौती की घोषणा होगी?
दोस्तों आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) रेपो रेट और नीति दृष्टिकोण पर निर्णय लेती है, लेकिन तरलता से जुड़े उपायों की जिम्मेदारी सीधे आरबीआई पर होती है।
विशेषज्ञों का अनुमान है कि आरबीआई सीआरआर में 25 बेसिस पॉइंट (bps) या 50 बेसिस पॉइंट की कटौती कर सकता है। एक बेसिस पॉइंट का मतलब 0.01% होता है। यदि ऐसा होता है, तो यह पिछले 4.5 वर्षों में पहली बार होगा जब सीआरआर में कटौती की जाएगी।
तरलता की तंगी क्यों बढ़ रही है?
दोस्तों आरबीआई ने हाल ही में रुपये को स्थिर रखने के लिए विदेशी मुद्रा बाजार में डॉलर बेचे हैं। इससे बैंकिंग प्रणाली में तरलता प्रभावित हुई है। इसके अलावा, दिसंबर में एडवांस टैक्स, जीएसटी भुगतान, और क्रेडिट की तिमाही मांग के कारण तरलता की स्थिति और कठिन हो सकती है।
सीआरआर कटौती का प्रभाव
बैंकों को अतिरिक्त धनराशि उपलब्ध होगी
दोस्तों यदि आरबीआई सीआरआर को 50 बेसिस पॉइंट कम करता है, तो बैंकों के पास लगभग 1.1 लाख करोड़ रुपये से 1.2 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त धनराशि उपलब्ध होगी। वहीं, 25 बेसिस पॉइंट की कटौती से यह राशि 55,000 करोड़ रुपये से 60,000 करोड़ रुपये हो सकती है।
उधारी में सुधार
अतिरिक्त तरलता से बैंकों की उधारी क्षमता बढ़ेगी। इससे बाजार में क्रेडिट फ्लो बढ़ेगा, जो आर्थिक विकास को गति देने में सहायक होगा।
विशेषज्ञ की राय: “सीआरआर कटौती से बैंकों को अधिक धन मिलेगा, जिसे वे उधार देने में उपयोग कर सकते हैं। इससे उधारकर्ताओं को कम ब्याज दर का लाभ मिल सकता है,” वीआरसी रेड्डी, हेड ट्रेजरी, करूर वैश्य बैंक।
बैंकों के मुनाफे पर असर
सीआरआर में कटौती से बैंकों की नेट इंटरेस्ट मार्जिन (NIM) पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
पिछली बार कब हुई थी सीआरआर कटौती?
आरबीआई ने मार्च 2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान सीआरआर को 4% से घटाकर 3% कर दिया था। यह कटौती सात वर्षों के बाद की गई थी। हालांकि, मई 2022 में इसे बढ़ाकर 4.5% कर दिया गया।
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रेपो रेट पर निर्णय
दोस्तों रेपो रेट को इस बार 6.5% पर स्थिर रहने की उम्मीद है। यह वह दर है जिस पर आरबीआई बैंकों को उधार देता है। रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं होने के बावजूद, सीआरआर में कटौती का निर्णय आर्थिक सुधारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
सीआरआर कटौती क्यों महत्वपूर्ण है?
- तरलता सुधार:
वर्तमान में बैंकिंग प्रणाली में तरलता की तंगी महसूस की जा रही है। सीआरआर में कटौती इस स्थिति को सुधारने में मदद कर सकती है। - आर्थिक वृद्धि को गति:
अतिरिक्त धनराशि से निवेश और उपभोग को बढ़ावा मिलेगा, जिससे धीमी होती जीडीपी विकास दर में सुधार होगा। - ब्याज दरों पर प्रभाव:
सीआरआर कटौती से बैंकों के पास अधिक धन होगा, जिससे उधार दरों में कमी आ सकती है।
आरबीआई की चुनौती
दोस्तों आरबीआई के लिए यह निर्णय आसान नहीं होगा। एक तरफ उसे रुपये को स्थिर रखने के लिए तरलता प्रबंधन करना है, वहीं दूसरी ओर, आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने की भी जिम्मेदारी है।
विशेषज्ञ का विश्लेषण:
मदन सबनवीस, चीफ इकोनॉमिस्ट, बैंक ऑफ बड़ौदा के अनुसार, “दिसंबर में तरलता की स्थिति और कठिन हो सकती है। ऐसे में आरबीआई स्थायी समाधान के रूप में सीआरआर कटौती या ओएमओ खरीद की घोषणा कर सकता है।”
अंतिम विचार
दोस्तों भारतीय रिज़र्व बैंक की 6 दिसंबर की घोषणा का सभी को इंतजार है। सीआरआर कटौती का निर्णय न केवल बैंकों के लिए बल्कि आम जनता के लिए भी लाभकारी साबित हो सकता है।
यदि यह कटौती होती है, तो यह कदम बाजार में अधिक धन प्रवाह सुनिश्चित करेगा, जिससे आर्थिक विकास को बल मिलेगा। वहीं, रेपो रेट स्थिर रहने से मुद्रास्फीति नियंत्रण में रहेगी।
निष्कर्ष:
दोस्तों सीआरआर कटौती का निर्णय आरबीआई की मौद्रिक नीति के तहत एक संतुलित कदम साबित हो सकता है। इससे बैंकिंग प्रणाली में तरलता बढ़ेगी और बाजार में उधारी को प्रोत्साहन मिलेगा।
क्या उम्मीद करें:
दोस्तों 6 दिसंबर की बैठक के परिणाम पर सभी की निगाहें टिकी हैं। चाहे आप निवेशक हों, बैंक ग्राहक हों या अर्थव्यवस्था पर नजर रखने वाले, यह निर्णय सभी के लिए महत्वपूर्ण होगा।
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