परिचय: शेयर बाज़ार और उसका महत्व
शेयर बाज़ार किसी भी देश की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। यहीं पर कंपनियों के शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं, और यह निवेशकों के लिए धन सृजन का एक प्रमुख साधन है। लेकिन शेयर बाज़ार अत्यधिक अस्थिर होता है और विभिन्न वैश्विक, आर्थिक और राजनीतिक घटनाओं से प्रभावित हो सकता है। इस ब्लॉग में, हम हाल के वर्षों में शेयर बाज़ार को प्रभावित करने वाली प्रमुख घटनाओं पर चर्चा करेंगे और यह समझने का प्रयास करेंगे कि ये घटनाएँ बाज़ार को कैसे प्रभावित करती हैं। यह जानकारी सटीक और विश्वसनीय स्रोतों पर आधारित है।
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1. कोविड-19 महामारी (2020)
कोविड-19 महामारी ने 2020 में वैश्विक शेयर बाज़ारों को हिलाकर रख दिया। इस दौरान, दुनिया भर में लॉकडाउन लगाए गए, जिससे व्यवसाय बंद हो गए और आपूर्ति श्रृंखलाएँ बाधित हुईं। निवेशकों में भय व्याप्त हो गया, जिसके परिणामस्वरूप मार्च 2020 में अमेरिकी शेयर बाजार में भारी गिरावट आई। डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज (DJIA) एक ही दिन में लगभग 13% गिर गया, जो 1987 के बाद से एक दिन में सबसे बड़ी गिरावट थी। हालाँकि, अमेरिकी सरकार और फेडरल रिजर्व के प्रोत्साहन पैकेज और ब्याज दरों में कटौती ने जल्द ही बाजार को स्थिर कर दिया। भारत में भी, सेंसेक्स और निफ्टी में भारी उतार-चढ़ाव देखा गया, लेकिन ऑनलाइन सेवाओं और फार्मा क्षेत्र की कंपनियों ने बेहतर प्रदर्शन किया।
2. ट्रम्प का टैरिफ और व्यापार युद्ध (2025)
2025 में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा वैश्विक स्तर पर लागू किए गए टैरिफ ने शेयर बाजार में भारी उतार-चढ़ाव पैदा कर दिया। अप्रैल 2025 में घोषित इन टैरिफ ने कनाडा, मैक्सिको, चीन और 185 अन्य देशों से आयात पर शुल्क 25-40% तक बढ़ा दिया। इससे वैश्विक बाजारों में 2 ट्रिलियन डॉलर से 10 ट्रिलियन डॉलर तक की पूंजी हानि हुई। एसएंडपी 500 में 4.8% की गिरावट आई, जो 2020 के बाद से इसका सबसे बुरा दिन था। हालाँकि, 90-दिवसीय टैरिफ स्थगन की घोषणा के बाद बाजार में 9.5% की वृद्धि हुई। वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता के कारण निवेशकों का विश्वास डगमगाने से भारत जैसे उभरते बाजार भी प्रभावित हुए।
3. 2008 का वैश्विक वित्तीय संकट
2008-2009 का वित्तीय संकट शेयर बाजार के इतिहास के सबसे बड़े संकटों में से एक था। यह संकट अमेरिका में आवासीय बंधक-समर्थित प्रतिभूतियों के मूल्य में गिरावट के कारण शुरू हुआ था। कई बड़े वित्तीय संस्थान दिवालिया हो गए और निवेशकों ने बाजार से पैसा निकालना शुरू कर दिया। अक्टूबर 2007 से मार्च 2009 तक एसएंडपी 500 में लगभग 60% की गिरावट आई। भारत में, सेंसेक्स 21,000 से गिरकर 8,000 अंक पर आ गया। इस संकट ने दीर्घकालिक निवेशकों को बाजार की अस्थिरता से सावधान रहना सिखाया।
4. 1987 का काला सोमवार
19 अक्टूबर, 1987 को, जिसे काला सोमवार के नाम से जाना जाता है, डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज में 22.6% की गिरावट आई, जो अमेरिकी शेयर बाजार के इतिहास में एक दिन में सबसे बड़ी गिरावट थी। स्वचालित प्रोग्राम ट्रेडिंग और पोर्टफोलियो बीमा रणनीतियों ने इस गिरावट को और तेज़ कर दिया, जिससे बिकवाली और बढ़ गई। इस घटना के कारण बाजार में सर्किट ब्रेकर जैसे सुरक्षा उपाय लागू किए गए, जो आज भी लागू हैं। उस समय भारत में शेयर बाजार का प्रभाव सीमित था, लेकिन यह वैश्विक निवेशकों के लिए एक सबक था कि तकनीकी जोखिम भी बाजार को प्रभावित कर सकते हैं।
5. भू-राजनीतिक तनाव और युद्ध
रूस-यूक्रेन युद्ध (2022) और इज़राइल-हमास संघर्ष जैसी भू-राजनीतिक घटनाओं ने भी शेयर बाजारों को प्रभावित किया। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस की कीमतों में उछाल आया, जिससे यूरोप और भारत जैसे आयात पर निर्भर देशों में मुद्रास्फीति बढ़ गई। इससे शेयर बाजारों, खासकर ऊर्जा और ऑटोमोबाइल क्षेत्रों में, अस्थिरता आई। भारत में, युद्ध की शुरुआत में सेंसेक्स में 1,689 अंकों की गिरावट आई थी। इसी तरह, 1973 के ओपेक तेल संकट ने भी वैश्विक बाजारों को प्रभावित किया था, जिससे 51.9% की गिरावट आई थी।
6. आर्थिक नीतियाँ और ब्याज दरें
अमेरिका में फेडरल रिजर्व और भारत में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) जैसे केंद्रीय बैंकों की मौद्रिक नीतियाँ सीधे Affect the Stock Market उदाहरण के लिए, जब RBI ब्याज दरें बढ़ाता है, तो उधार लेना महंगा हो जाता है, जिससे कंपनियों की लाभप्रदता और शेयर की कीमतों पर असर पड़ता है। 2025 में, वैश्विक ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव और टैरिफ अनिश्चितताओं ने बाजार को अस्थिर रखा। निवेशकों को इन नीतियों पर नज़र रखनी चाहिए, क्योंकि ये बाजार की दिशा तय करती हैं।
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निष्कर्ष: शेयर बाजार में लचीलापन
इतिहास बताता है कि शेयर बाजार में गिरावट और अस्थिरता सामान्य है, लेकिन यह हमेशा उबरता है। चाहे 1929 की महामंदी हो, 2008 का वित्तीय संकट हो या 2020 की महामारी, बाज़ार ने हर बार वापसी की है। दीर्घकालिक निवेशक जो विविध पोर्टफोलियो बनाए रखते हैं और बाज़ार की अस्थिरता के दौरान धैर्य रखते हैं, अंततः लाभ कमाते हैं। निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे अपनी जोखिम सहनशीलता और वित्तीय लक्ष्यों के आधार पर निवेश करें और बाज़ार की गतिविधियों पर नज़र रखें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
- शेयर बाज़ार में अचानक गिरावट का क्या कारण है?
- आर्थिक संकट, भू-राजनीतिक तनाव या नीतिगत बदलाव बाज़ार में गिरावट का कारण बन सकते हैं।
- COVID-19 ने शेयर बाज़ार को कैसे प्रभावित किया?
- लॉकडाउन और आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान के कारण बाज़ार में भारी गिरावट आई।
- शुल्क क्या हैं और ये बाज़ार को कैसे प्रभावित करते हैं?
- शुल्क आयात पर लगाए जाने वाले कर होते हैं जो व्यापार युद्ध और बाज़ार में अस्थिरता को बढ़ा सकते हैं।
- काला सोमवार क्या था?
- 1987 में डॉव जोन्स में 22.6% की गिरावट, जो तकनीकी क्षेत्र में बिकवाली के कारण हुई थी।
- क्या शेयर बाज़ार हमेशा उबरता है?
- हाँ, इतिहास में हर संकट के बाद बाज़ार ने वापसी की है।
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