बेंगलुरु में दो बचपन के दोस्त हैं – नरेंद्र राज और आशुतोष अनंत। ये दोनों मिलकर एक खास काम कर रहे हैं। इनकी कंपनी का नाम है रेस्क्रिप्ट। ये लोग बेकार पड़े कागज को रिसाइकल करके बढ़िया स्टेशनरी बनाते हैं, जैसे कॉपी, नोटबुक, पेन और पेंसिल।
उनका कहना है कि हर कागज या तो पेड़ बचा सकता है या उसे कटवा सकता है। और उन्होंने पेड़ बचाने का रास्ता चुना है।
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एक छोटे कमरे से शुरुआत
नरेंद्र और आशुतोष बचपन से दोस्त हैं। स्कूल और कॉलेज में भी साथ पढ़े। हमेशा से कुछ अलग करना चाहते थे, खासकर पर्यावरण के लिए।
पढ़ाई के बाद नरेंद्र ने एक बड़ी कंपनी में नौकरी की, लेकिन उनका मन नहीं लगा। आशुतोष ने भी कुछ समय तक अपना पारिवारिक बिजनेस देखा, फिर उन्हें भी कुछ नया करना था।
2019 में उन्हें एक ऐसे आदमी के बारे में पता चला जो बीजों वाले स्टेशनरी बनाते थे। मतलब, इस्तेमाल करने के बाद उस कागज को मिट्टी में डाल दो तो पौधा उग जाएगा! उन्हें यह आइडिया बहुत पसंद आया।
उन्होंने दिल्ली से कुछ सैंपल मंगवाए और बेंगलुरु में एक बड़ी कंपनी को अपना पहला ऑर्डर दिया। यह उनकी पहली जीत थी। लेकिन उन्हें लगा कि लोग इस तरह की स्टेशनरी को सिर्फ एक बार के गिफ्ट की तरह इस्तेमाल करेंगे। इसलिए उन्होंने रोजमर्रा की चीजों पर ध्यान देने का सोचा।
कोरोना ने दिया नया मौका
2021 में जब कोरोना के कारण सब बंद था, तब अस्पतालों में कागज की जरूरत बढ़ गई। तभी रेस्क्रिप्ट का असली आइडिया आया। उन्होंने सोचा कि क्यों न बेकार कागज से कॉपी बनाने शुरू करें? कागज तो हर दिन इस्तेमाल होता है और इसे कई बार रिसाइकल किया जा सकता है। फिर भी, ज्यादातर कागज कचरे में चला जाता है।
रेस्क्रिप्ट ने सबसे पहले रिसाइकल्ड कॉपी पेपर बनाया। फिर नोटबुक, जर्नल, पेन और पेंसिल भी बनाने लगे। आज उनकी कंपनी 500 टन से ज्यादा बेकार कागज को रिसाइकल कर चुकी है। इससे उन्होंने हजारों पेड़ बचाए हैं, लाखों लीटर पानी बचाया है और बहुत सारा कार्बन हवा में जाने से रोका है।
कैसे बनता है ये खास कागज?
रेस्क्रिप्ट का कागज बनाने का तरीका थोड़ा अलग है। वे बेकार कागज और पानी को सही मात्रा में मिलाते हैं। इससे जो कागज बनता है वह चिकना होता है, जल्दी फटता नहीं और प्रिंटर में भी आराम से चलता है। पहले जो रिसाइकल्ड कागज होता था, वह थोड़ा खुरदुरा होता था और प्रिंटर को खराब कर देता था। इन्होंने इस समस्या को दूर कर दिया।
वे पुराने पैकेजिंग के टुकड़े, पुरानी किताबें और बच्चों की कॉपी-किताबें इकट्ठा करते हैं। फिर इसे पानी में डालकर पतला घोल (पल्प) बनाते हैं। इस पल्प को फैलाकर, दबाकर और सुखाकर बड़े-बड़े रोल बनाते हैं। फिर इन रोल को अलग-अलग साइज में काटते हैं या नोटबुक और जर्नल के लिए प्रिंट करते हैं।
उनका कागज सफेद क्यों नहीं होता?
रेस्क्रिप्ट अपने कागज को ज्यादा सफेद बनाने के लिए ब्लीच का इस्तेमाल नहीं करते। इसलिए उनका कागज थोड़ा नेचुरल रंग का होता है, एकदम सफेद नहीं। पहले लोग इस बारे में पूछते थे, लेकिन अब वे इस रंग को पर्यावरण के लिए अच्छा मानते हैं।
उनके कागज पर एक खास सर्टिफिकेट भी है – फॉरेस्ट स्टीवर्डशिप काउंसिल (FSC)। इसका मतलब है कि उनका कागज ऐसी जगहों से आता है जहां पेड़ों का ध्यान रखा जाता है। वे अपनी लैब में हर बैच के कागज की जांच करते हैं ताकि क्वालिटी अच्छी रहे। अगर कोई कागज ठीक नहीं बनता, तो उसे दोबारा ठीक किया जाता है।
छोटी जगह, बड़ा काम
रेस्क्रिप्ट की फैक्ट्री छोटी है, लेकिन काम बहुत अच्छा होता है। नोटबुक बनाने के लिए, कागज को गिनकर अलग करते हैं, कवर लगाते हैं, पिन करते हैं और फिर मशीन से काटकर साफ लुक देते हैं। जर्नल के लिए, पेजों को सिलाई करके मजबूत कवर के साथ चिपकाते हैं। स्पाइरल नोटबुक में पेजों में छेद करके स्प्रिंग लगाते हैं।
उनके पांच मुख्य उत्पाद हैं:
- रिसाइकल्ड कॉपी पेपर
- नोटबुक और नोटपैड
- प्रीमियम जर्नल और डायरी
- पुराने अखबारों से बने पेन और पेंसिल
- कॉरपोरेट गिफ्टिंग किट
स्कूलों और कंपनियों तक पहुंच
रेस्क्रिप्ट कई बड़ी कंपनियों जैसे विप्रो और आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल को अपने प्रोडक्ट बेचते हैं। स्कूलों के लिए वे डिस्ट्रीब्यूटर्स के जरिए काम करते हैं। अब उनके प्रोडक्ट दुकानों में भी मिलने लगे हैं और जल्द ही ऑनलाइन भी मिलेंगे।
एक स्कूल की टीचर कहती हैं कि रेस्क्रिप्ट के साथ जुड़कर बच्चों को पर्यावरण के बारे में बहुत कुछ सीखने को मिलता है। उन्होंने रेस्क्रिप्ट की नोटबुक सभी क्लास और टीचरों के लिए इस्तेमाल करनी शुरू कर दी है।
छोटी टीम, बड़ा सपना
रेस्क्रिप्ट की टीम में सिर्फ 9 लोग हैं। शुरुआत में तो नरेंद्र और आशुतोष सब काम खुद ही करते थे। अब उनकी टीम बढ़ रही है। उनका कहना है कि सोशल मीडिया के जरिए वे लोगों को जागरूक करते हैं और उनका भरोसा जीतते हैं।
पिछले साल रेस्क्रिप्ट ने अच्छा बिजनेस किया है और उनका काम लगातार बढ़ रहा है। उनके प्रोडक्ट की कीमत भी आम स्टेशनरी जैसी ही है।
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पर्यावरण पर कितना असर?
रेस्क्रिप्ट हर साल अपने ग्राहकों को एक रिपोर्ट देते हैं कि उनके प्रोडक्ट इस्तेमाल करने से कितने पेड़ बचे, कितना पानी बचा और कितना कार्बन कम हुआ। उनका कहना है कि सिर्फ यह कहना काफी नहीं है कि वे पर्यावरण के लिए काम कर रहे हैं, वे असली आंकड़े दिखाते हैं।
नरेंद्र और आशुतोष मानते हैं कि पर्यावरण को बचाने का काम हमारे डेस्क पर रखे कागज से भी शुरू हो सकता है। उनकी कहानी दिखाती है कि दो दोस्त मिलकर भी कितना बड़ा बदलाव ला सकते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
- रेस्क्रिप्ट का कागज सामान्य कागज से कैसे अलग है?
- 100% रिसाइकल्ड, ब्लीच-मुक्त और पर्यावरण-अनुकूल FSC प्रमाणित।
- रेस्क्रिप्ट के उत्पाद कहां से खरीदे जा सकते हैं?
- सपना बुक हाउस, क्रॉसवर्ड, और जल्द ही स्विगी और ब्लिंकिट पर।
- रेस्क्रिप्ट ने अब तक कितना पर्यावरणीय प्रभाव डाला है?
- 500 टन कागज रिसाइकल, 9,200+ पेड़ बचाए, पानी और कार्बन उत्सर्जन में भारी बचत।
- क्या रेस्क्रिप्ट के उत्पाद प्रिंटर के लिए सुरक्षित हैं?
- हाँ, उनकी विशेष तकनीक से बना कागज चिकना और प्रिंटर-सुरक्षित है।
- रेस्क्रिप्ट कॉरपोरेट ग्राहकों के लिए क्या प्रदान करता है?
- कस्टमाइज्ड गिफ्टिंग किट और पर्यावरण प्रभाव रिपोर्ट।
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