बाजार में भरोसे का सबसे बड़ा नाम – SEBI और BSE। लेकिन जब इन्हीं संस्थाओं के टॉप अधिकारी खुद खेल करने लगें, तो छोटे निवेशकों का पैसा बचाने कौन आएगा? मुंबई की एंटी-करप्शन कोर्ट ने SEBI और BSE के टॉप अधिकारियों पर FIR दर्ज करने के आदेश दिए हैं, और यह घोटाला किसी मामूली धांधली से कई गुना बड़ा साबित हो सकता है।
क्या है पूरा घोटाला?
शेयर बाजार का पूरा खेल नियमों पर टिका होता है। लेकिन जब नियमों के पहरेदार ही कानून की धज्जियां उड़ाने लगें, तो समझो कि पूरा सिस्टम ही सड़ चुका है। पत्रकार सपन श्रीवास्तव की शिकायत पर मुंबई कोर्ट ने SEBI और BSE के बड़े अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश दिया है। आरोप क्या है? एक ऐसी कंपनी को गलत तरीके से बाजार में लिस्ट किया गया, जो नियमों के हिसाब से इसके काबिल ही नहीं थी!
बड़े अधिकारियों की पोल खुली!
इस घोटाले में जिन अधिकारियों के नाम सामने आ रहे हैं, वो SEBI और BSE की सबसे ऊंची कुर्सियों पर बैठे थे।
- SEBI की पूर्व चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच
- Whole Time Members – अश्विनी भाटिया, अनंत नारायण जी, कमलेश चंद्र वर्मा
- BSE के चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल और CEO सुंदररमन राममूर्ति
ये लोग मिलकर करोड़ों का खेल कर रहे थे, और आम निवेशकों को इसका अंदाज़ा भी नहीं था। सोचिए, जिनका काम बाजार को पारदर्शी और सुरक्षित बनाना था, वही लोग अंदर से इसे खोखला कर रहे थे!
शेयर बाजार में मची खलबली!
जब यह खबर सामने आई, तो पूरे स्टॉक मार्केट में हलचल मच गई। लोग अब सवाल पूछ रहे हैं – अगर सेबी जैसी संस्था में इतना बड़ा भ्रष्टाचार हो सकता है, तो आम इन्वेस्टर का पैसा कितना सुरक्षित है?
कोर्ट का सख्त रुख – FIR दर्ज!
कोर्ट ने FIR दर्ज करने का आदेश देते हुए कहा कि “नियमों की धज्जियां उड़ाई गई हैं, और इसमें बड़े स्तर पर धोखाधड़ी हुई है।”
- कोर्ट ने एंटी-करप्शन ब्यूरो को इस मामले की जल्द से जल्द जांच करने और 30 दिन के भीतर रिपोर्ट देने का आदेश दिया है।
- अगर दोष सिद्ध होता है, तो इन अधिकारियों पर भारी जुर्माना और कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
इन्वेस्टर्स का पैसा डूबा – जिम्मेदारी कौन लेगा?
अब सवाल उठता है – उन लाखों निवेशकों का क्या, जिन्होंने अपनी मेहनत की कमाई इस बाजार में लगाई? क्या सरकार उनकी भरपाई करेगी? क्या दोषी अधिकारियों को सिर्फ जुर्माना लगाकर छोड़ दिया जाएगा, या फिर हकीकत में कोई ठोस सजा मिलेगी?
क्या बोले इन्वेस्टर्स?
हम सोचते थे कि हमारा पैसा सेफ है, लेकिन असल में यहां भी अंदर ही अंदर लूट चल रही थी।
जब रेगुलेटर ही भ्रष्ट हो, तो बाजार में पारदर्शिता की उम्मीद कैसे करें?
SEBI अब भरोसे के लायक नहीं रही, हमें ठगे गए जैसा महसूस हो रहा है!
क्या SEBI खुद को बचाने की कोशिश कर रही है?
SEBI की तरफ से अभी तक कोई ठोस जवाब नहीं आया है। बड़ी संस्थाओं का पुराना ट्रेंड रहा है – जब घोटाला पकड़ा जाए, तो पहले चुप्पी साध लो, फिर कोई लीगल खेल खेलकर खुद को बचाने की कोशिश करो!
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क्या यह घोटाला और बड़ा हो सकता है?
अगर इस केस की सही तरीके से जांच होती है, तो यह घोटाला और भी बड़े स्तर पर फैल सकता है। हो सकता है कि और कई कंपनियों की लिस्टिंग में गड़बड़ियों का खुलासा हो।
अब आगे क्या?
अब सबकी नजरें इस पर टिकी हैं कि ACB कितनी तेजी से जांच करती है और क्या दोषियों को वाकई सजा मिलती है या फिर हमेशा की तरह मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा?
निष्कर्ष: स्टॉक मार्केट में भरोसे की सबसे बड़ी परीक्षा!
इस पूरे घोटाले ने दिखा दिया कि हमारा फाइनेंशियल सिस्टम अंदर से कितना कमजोर है। यह सिर्फ एक घोटाले का मामला नहीं, बल्कि यह पूरे रेगुलेटरी सिस्टम पर सवालिया निशान है।
क्या सरकार कोई सख्त कदम उठाएगी? क्या आम निवेशक को न्याय मिलेगा? या फिर एक बार फिर पैसे वालों का राज चलेगा? जवाब आने वाले समय में मिलेगा!
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