Google के को-फाउंडर Sergey Brin ने अपनी टीम को बड़ा झटका देते हुए कहा है कि अब इंजीनियर्स को हफ्ते में 60 घंटे काम करना होगा। यह फैसला AGI (Artificial General Intelligence) की रेस में आगे निकलने के लिए लिया गया है।
हर दिन ऑफिस आना अनिवार्य
Brin ने Google के इंजीनियर्स को यह भी कहा है कि वे हर दिन ऑफिस आएं। उनका मानना है कि जब सभी लोग ऑफिस में रहेंगे, तो AI डेवलपमेंट तेज़ी से होगा और Google को OpenAI और Microsoft जैसे कॉम्पिटिटर्स को पछाड़ने में मदद मिलेगी।
Brin ने अपनी टीम को सीधे निर्देश दिए:
“मैं सुझाव देता हूँ कि कम से कम हफ्ते के हर दिन ऑफिस आओ। यह AGI की रेस जीतने के लिए ज़रूरी है।”
60 घंटे का वर्किंग पैटर्न – एक बैलेंस
Sergey Brin ने कहा कि 60 घंटे की वर्किंग सबसे सही बैलेंस है। इससे प्रोडक्टिविटी बनी रहेगी, लेकिन अगर इससे ज्यादा समय तक काम किया गया, तो थकान और बर्नआउट होने की संभावना बढ़ जाएगी।
क्यों लिया गया यह फैसला?
Google के इस सख्त फैसले के पीछे कई कारण हैं:
- OpenAI के ChatGPT ने मार्केट में तहलका मचाया है।
- Microsoft ने AI-powered Bing और Copilot जैसी टेक्नोलॉजी लॉन्च की हैं।
- Google पर दबाव है कि वह अपनी AI टेक्नोलॉजी को और तेज़ी से डेवलप करे।
Google की कोशिश है कि वह AGI की रेस में सबसे आगे रहे और अपनी बादशाहत बनाए रखे।
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Google का AI Master Plan
Sergey Brin सिर्फ कर्मचारियों से ज्यादा काम करवाने पर ज़ोर नहीं दे रहे हैं, बल्कि उन्होंने Google के AI tools का अधिक से अधिक इस्तेमाल करने को कहा है। इसका मकसद है:
- Coding efficiency को बढ़ाना।
- Software development की गति को तेज़ करना।
- AI रिसर्च में नए इनोवेशन लाना।
Brin ने कहा,
“हमारे पास AGI की रेस जीतने के सारे ज़रूरी संसाधन हैं, लेकिन हमें अपनी कोशिशों को और तेज़ करना होगा।”
क्या Google यह रेस जीत पाएगा?
Google का यह फैसला बताता है कि वह AGI की रेस को हल्के में नहीं ले रहा। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या यह कदम OpenAI और Microsoft को टक्कर देने के लिए काफी होगा?
कुछ लोगों का मानना है कि इतनी सख्त वर्किंग पॉलिसी से कर्मचारी नाराज हो सकते हैं और Google को टैलेंटेड इंजीनियर्स को बनाए रखने में दिक्कत आ सकती है।
वहीं, कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर Google को AGI की दौड़ में जीतना है, तो उसे हर संभव कोशिश करनी होगी।
निष्कर्ष
Sergey Brin का यह फैसला Google के लिए एक टर्निंग पॉइंट साबित हो सकता है। अगर यह रणनीति काम करती है, तो Google AI की दुनिया का बादशाह बना रहेगा। लेकिन अगर कर्मचारियों ने इसका विरोध किया, तो कंपनी को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
अब देखने वाली बात यह है कि Google इस नीति के साथ कितना आगे जाता है और OpenAI व Microsoft को कैसे टक्कर देता है।
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