Agni Movie: नमस्कार दोस्तों, कैसे हो आप सभी? आशा है कि आप सभी बहुत अच्छे होंगे। दोस्तो हिंदी सिनेमा ने आग और फायरफाइटर्स की थीम पर पहले भी काम किया है। अगर आपको पुरानी फिल्में याद हैं, तो 1980 की ‘द बर्निंग ट्रेन’ या हॉलीवुड की ‘द टावरिंग इन्फर्नो’ ज़रूर याद आएंगी। लेकिन उन फायरफाइटर्स की कहानी, जो अपनी जान की परवाह किए बिना दूसरों की जान बचाते हैं, बहुत कम देखने को मिली है। यही कमी पूरी करने की कोशिश करती है राहुल ढोलकिया की फिल्म ‘Agni Movie’।
दोस्तो यह फिल्म मुंबई के फायर स्टेशन के चीफ विठ्ठलराव सुर्वे (प्रतीक गांधी) और उनकी टीम के नायकत्व को दिखाती है। फिल्म यह बताती है कि कैसे फायरफाइटर्स को समाज में सही सम्मान और पहचान नहीं मिलती।
Agni Movie: फिल्म की कहानी
दोस्तो ‘Agni Movie’ की कहानी विठ्ठलराव सुर्वे और उनकी टीम के संघर्षों के इर्द-गिर्द घूमती है। फिल्म दिखाती है कि कैसे संकरी गलियों और ऊंची इमारतों में आग बुझाना उनके लिए सिर्फ एक काम नहीं, बल्कि जुनून है। विठ्ठलराव का परिवार, उनकी पत्नी (साई तम्हणकर) और बेटा, उनके काम की अनिश्चितता और खतरों के साथ तालमेल बैठाने की कोशिश करते हैं।
कहानी में एक और किरदार, सैमित सावंत (दिव्येंदु), है, जो एक स्टाइलिश पुलिसवाले की भूमिका में हैं। वहीं सायामी खेर ने एक मजबूत महिला फायरफाइटर का किरदार निभाया है। कहानी तब और दिलचस्प हो जाती है, जब मुंबई में बार-बार लगने वाली आग के पीछे की साज़िश को उजागर करने की कोशिश होती है।
Agni Movie: फिल्म की खासियत
- फायरफाइटर्स का जीवन
फिल्म उन नायकों की जिंदगी के अनदेखे पहलुओं को उजागर करती है, जो आग बुझाने के दौरान अपनी जान जोखिम में डालते हैं। - प्रतीक गांधी का प्रदर्शन
प्रतीक गांधी ने विठ्ठलराव के किरदार को पूरी सच्चाई और दमदारी के साथ निभाया है। उनके चेहरे की गंभीरता और संवाद अदायगी में सच्चाई झलकती है। - रियलिस्टिक फायर सीन
फिल्म में आग के दृश्य बेहद प्रभावी और सजीव हैं। धुएं और चीखों से भरे ये दृश्य दर्शकों को तनाव में डालते हैं। - महिला पात्रों की मजबूती
साई तम्हणकर और सायामी खेर ने अपने किरदारों को पूरी ताकत से निभाया है।
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कमजोर पहलू
- अनावश्यक ड्रामा
फिल्म के प्लॉट में कुछ ऐसे तत्व डाले गए हैं, जो कहानी को खींचते हैं और अनावश्यक लगते हैं। - बार-बार देखे गए किरदार
नेता, जो फोटो खिंचवाने में व्यस्त हैं, और पुलिसवाले, जो अपने स्टाइल को दिखाने में लगे हैं, जैसे किरदार पहले भी देखे गए हैं। - पटकथा में कमजोरियां
कहानी में कहीं-कहीं सस्पेंस बनाने के चक्कर में मुख्य विषय से भटकाव होता है।
फिल्म का संदेश
फिल्म का मुख्य संदेश है कि फायरफाइटर्स असली नायक हैं, जिन्हें समाज में पहचान और समर्थन मिलना चाहिए।
अभिनय
कलाकार | भूमिका | प्रदर्शन का स्तर |
---|---|---|
प्रतीक गांधी | विठ्ठलराव सुर्वे (फायर स्टेशन चीफ) | बेहतरीन |
दिव्येंदु | सैमित सावंत (पुलिस अफसर) | औसत |
साई तम्हणकर | विठ्ठलराव की पत्नी | शानदार |
सायामी खेर | महिला फायरफाइटर | प्रभावी |
जितेंद्र जोशी | नेता | दोहराव भरा |
Agni Movie: फिल्म का निर्देशन
राहुल ढोलकिया ने फायरफाइटर्स की कठिनाइयों और उनके जुनून को बखूबी दिखाया है। लेकिन पटकथा में कसावट की कमी और अनावश्यक तत्वों ने फिल्म की धार को कमजोर कर दिया।
तकनीकी पहलू
- सिनेमैटोग्राफी
आग के दृश्य और मुंबई की गहरी गलियों को कैमरे में बखूबी कैद किया गया है। - डायलॉग्स
विजय मौर्य के लिखे संवाद मजेदार हैं, लेकिन कहीं-कहीं ज्यादा ड्रामेटिक हो जाते हैं। - म्यूजिक
बैकग्राउंड स्कोर कहानी के साथ मेल खाता है।
रेटिंग और निष्कर्ष
दोस्तो ‘Agni Movie’ एक ऐसी फिल्म है, जो फायरफाइटर्स की जिंदगी और उनके संघर्ष को पहचान दिलाने की कोशिश करती है। प्रतीक गांधी और सायामी खेर का शानदार अभिनय, साथ ही कुछ प्रभावशाली दृश्य फिल्म की खासियत हैं। हालांकि, अनावश्यक ड्रामा और कमजोर पटकथा फिल्म की रफ्तार को धीमा कर देते हैं।
रेटिंग: 2.5/5
फाइनल वर्ड
दोस्तो ‘Agni Movie’ एक साहसी विषय पर बनी फिल्म है, जो अपने मजबूत संदेश के बावजूद पूरी तरह से प्रभावित करने में असफल रहती है। लेकिन फायरफाइटर्स की अनसुनी कहानियों को स्क्रीन पर लाने के लिए इस फिल्म की सराहना होनी चाहिए।
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