अमेरिकी शेयर बाजारों में सोमवार, 31 मार्च को भारी गिरावट देखी गई, क्योंकि निवेशकों की नजरें आगामी 2 अप्रैल को होने वाली राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की नई टैरिफ नीति पर टिकी हुई हैं। S&P 500 और नैस्डैक सूचकांक छह महीने के निचले स्तर पर पहुंच गए, जबकि डाउ जोंस इंडस्ट्रियल एवरेज में भी शुरुआती कारोबार में 0.68% की गिरावट दर्ज की गई। ट्रम्प प्रशासन द्वारा प्रस्तावित ये टैरिफ वैश्विक व्यापार को फिर से संतुलित करने और अमेरिकी विनिर्माण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लाए जा रहे हैं, लेकिन बाजार में अनिश्चितता और चिंता का माहौल बना हुआ है।
बाजार का हाल: शुरुआती कारोबार में भारी गिरावट
सुबह 9:30 बजे (EDT) पर वॉल स्ट्रीट पर कारोबार शुरू होते ही अमेरिकी बेंचमार्क सूचकांकों में गिरावट देखी गई। डाउ जोंस इंडस्ट्रियल एवरेज 41,583.90 अंकों के पिछले बंद की तुलना में 0.68% नीचे 41,293.25 अंकों पर खुला। मार्केटवॉच डेटा के अनुसार, शुरुआती कारोबार के बाद यह सूचकांक 0.20% की मामूली गिरावट के साथ 41,510.63 अंकों पर कारोबार कर रहा था।
वहीं, S&P 500 सूचकांक 1.01% की गिरावट के साथ 5,524.77 अंकों पर खुला और दिन के दौरान 0.94% नीचे 5,527.19 अंकों पर कारोबार करता दिखा, जो पिछले बंद 5,580.94 अंकों से काफी कम है। नैस्डैक भी इस गिरावट से अछूता नहीं रहा और छह महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया। निवेशकों का कहना है कि ट्रम्प टैरिफ की अनिश्चितता ने बाजार में बिकवाली को बढ़ावा दिया है।
ट्रम्प टैरिफ: ‘मुक्ति दिवस’ की तैयारी
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 2 अप्रैल को ‘मुक्ति दिवस’ (Liberation Day) के रूप में घोषित किया है, जब वह नई पारस्परिक टैरिफ नीति की घोषणा करेंगे। उनका दावा है कि यह नीति वैश्विक व्यापार में असंतुलन को खत्म करेगी और अमेरिकी विनिर्माण क्षेत्र को मजबूत करेगी। ट्रम्प प्रशासन पहले से ही एल्यूमीनियम, स्टील और ऑटो आयात पर टैरिफ लागू कर चुका है, और अब नई नीति में फार्मा, लकड़ी, सेमीकंडक्टर और कॉपर जैसे क्षेत्रों पर भी टैरिफ बढ़ाने की बात कही जा रही है।
ट्रम्प ने अपने चुनावी वादों में आयातित वाहनों पर 25% टैरिफ लगाने का भी ऐलान किया था, जिसे अब लागू करने की तैयारी दिख रही है। हालांकि, व्हाइट हाउस ने अभी तक टैरिफ की दरों, गणना के तरीके या उन देशों की सूची के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी है, जो छूट के लिए पात्र हो सकते हैं। इस अनिश्चितता ने निवेशकों के बीच घबराहट पैदा कर दी है।
वैश्विक प्रतिक्रिया: चिंता और अनुमान
ट्रम्प टैरिफ की घोषणा से पहले ही वैश्विक बाजारों में हलचल शुरू हो गई है। यूरोपीय संघ (EU) और कनाडा जैसे व्यापारिक साझेदारों ने चेतावनी दी है कि वे जवाबी टैरिफ लगा सकते हैं, जिससे वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंका बढ़ गई है। चीन, जो पहले से ही अमेरिकी टैरिफ का सामना कर रहा है, ने कहा कि वह अपनी अर्थव्यवस्था की रक्षा के लिए कड़े कदम उठाएगा।
लंदन स्थित अर्थशास्त्री डॉ. मार्कस रिचर्ड्स ने कहा, “ट्रम्प टैरिफ का असर सिर्फ अमेरिका तक सीमित नहीं रहेगा। अगर ये लागू होते हैं, तो वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर गहरा प्रभाव पड़ेगा, खासकर ऑटोमोबाइल और टेक्नोलॉजी क्षेत्र में।” उन्होंने यह भी अनुमान लगाया कि इससे उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिसका असर अमेरिकी मध्यम वर्ग पर पड़ेगा।
डाउ जोंस स्टॉक्स: कौन हारा, कौन जीता?
मार्केटवॉच के आंकड़ों के मुताबिक, शुरुआती कारोबार में डाउ जोंस के कई बड़े स्टॉक्स में गिरावट देखी गई। Nvidia Corp., Amazon Inc., Microsoft Corp., Salesforce Inc., Boeing Co., Goldman Sachs Group Inc., Walt Disney Co., American Express Co., Caterpillar Inc., JPMorgan Chase & Co., 3M Co., Visa Inc., और Merck & Co. Inc. जैसे दिग्गज कंपनियों के शेयर लाल निशान में कारोबार कर रहे थे। इन कंपनियों का वैश्विक व्यापार और आयात पर निर्भर होना इस गिरावट का प्रमुख कारण माना जा रहा है।
दूसरी ओर, कुछ कंपनियां इस अस्थिरता के बीच हरे निशान में रहीं। Coca-Cola Co., Verizon Communications Inc., Walmart Inc., Amgen Inc., Johnson & Johnson, Chevron Corp., UnitedHealth Group Inc., IBM, Travelers Cos. Inc., Procter & Gamble Co., Home Depot Inc., McDonald’s Corp., Nike Inc., Sherwin-Williams Co., Honeywell International Inc., और Apple Inc. ने सकारात्मक प्रदर्शन दिखाया। विश्लेषकों का मानना है कि इन कंपनियों की मजबूत घरेलू मौजूदगी और कम आयात निर्भरता ने इन्हें संकट से बचाया।
विशेषज्ञों की राय: टैरिफ का दीर्घकालिक प्रभाव
वॉल स्ट्रीट के वित्तीय विश्लेषक जेम्स हार्डिंग ने कहा, “ट्रम्प टैरिफ अल्पकालिक रूप से बाजार में अस्थिरता बढ़ाएंगे, लेकिन लंबे समय में ये अमेरिकी विनिर्माण को बढ़ावा दे सकते हैं। हालांकि, इसके लिए नीति को सावधानीपूर्वक लागू करना होगा।” उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर अन्य देश जवाबी कार्रवाई करते हैं, तो अमेरिकी निर्यात पर बुरा असर पड़ सकता है।
दूसरी ओर, न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्र प्रोफेसर लिंडा मेक्सवेल ने टैरिफ को ‘खतरनाक कदम’ करार दिया। उन्होंने कहा, “यह नीति वैश्विक सहयोग को कमजोर कर सकती है और अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए महंगाई का कारण बन सकती है। हमें 2018 के टैरिफ युद्ध से सबक लेना चाहिए, जब स्टील और एल्यूमीनियम की कीमतें बढ़ने से कई उद्योग प्रभावित हुए थे।”
भारत पर प्रभाव: चुनौतियां और अवसर
ट्रम्प टैरिफ का असर भारत जैसे उभरते बाजारों पर भी पड़ सकता है। भारत से अमेरिका को स्टील, फार्मास्यूटिकल्स और ऑटो पार्ट्स का निर्यात होता है, और नए टैरिफ से इन क्षेत्रों पर दबाव बढ़ सकता है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि यह भारत के लिए घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने का अवसर भी हो सकता है।
मुंबई के वित्तीय सलाहकार राहुल वर्मा ने कहा, “अगर अमेरिका आयात कम करता है, तो भारत को अपनी आपूर्ति श्रृंखला मजबूत करने और अन्य बाजारों की ओर रुख करने की जरूरत होगी। यह ‘मेक इन इंडिया’ के लिए एक मौका हो सकता है।”
बाजार की आगे की राह
जैसे-जैसे 2 अप्रैल नजदीक आ रहा है, निवेशकों की नजरें व्हाइट हाउस के अगले कदम पर टिकी हैं। क्या ट्रम्प प्रशासन अपनी नीति में लचीलापन दिखाएगा या सख्त रुख अपनाएगा, यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा। फिलहाल, बाजार में अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है, और विश्लेषकों का कहना है कि अगले कुछ दिनों में उतार-चढ़ाव जारी रह सकता है।
निष्कर्ष
ट्रम्प टैरिफ ने एक बार फिर अमेरिकी और वैश्विक अर्थव्यवस्था को चर्चा के केंद्र में ला दिया है। जहां एक ओर यह नीति अमेरिका के लिए आर्थिक स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त कर सकती है, वहीं दूसरी ओर यह वैश्विक व्यापार युद्ध और महंगाई की आशंका को भी जन्म दे रही है। 2 अप्रैल का ‘मुक्ति दिवस’ न केवल अमेरिका, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक निर्णायक क्षण साबित हो सकता है।
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