Himachal Minister Vikramaditya Singh: नमस्कार दोस्तों, कैसे हो आप सभी? आशा है कि आप सभी बहुत अच्छे होंगे। दोस्तों हिमाचल प्रदेश के शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने एनडीटीवी को दिए एक विशेष साक्षात्कार में स्पष्ट किया कि उनके बयानों में कोई “सांप्रदायिक मंशा” नहीं थी। उन्होंने यह भी कहा कि दोस्तों कांग्रेस नेतृत्व द्वारा उन्हें दिल्ली बुलाया नहीं गया था और यह एक नियमित मुलाकात थी।
सामान्य बैठक, नहीं मिली कोई तलब
दोस्तों Himachal Minister Vikramaditya Singh ने कहा, “मुझे किसी ने नहीं बुलाया था। मैं पार्टी का एक वफादार सैनिक हूँ। जब भी मैं दिल्ली आता हूँ, तो नेतृत्व से मिलता हूँ और उन्हें हिमाचल प्रदेश में संगठन और सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यों की जानकारी देता हूँ। यह एक सामान्य प्रक्रिया है।”
रेस्त्रां नामपट्ट विवाद की पृष्ठभूमि
विक्रमादित्य सिंह के बयान के बाद कांग्रेस ने उनसे दूरी बना ली थी। मंत्री ने कहा था कि हिमाचल प्रदेश में सभी रेस्त्रां और दुकानों को मालिक और कर्मचारियों के नाम प्रदर्शित करने होंगे। यह बयान तब आया दोस्तों जब उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में “कांवड़ यात्रा” के दौरान इसी तरह के आदेश दिए गए थे।
Vikramaditya Singh explaining why the decision to order street vendors to display real names was taken.
High command won't like this at all & he will soon have to make a big decision about his future.
Is the Congress govt in Himachal about to fall?!? pic.twitter.com/BRS8JwN8es
— 🦋Anjna🦋🇮🇳 (@SaffronQueen_) September 28, 2024
Himachal Minister Vikramaditya Singh: स्थानीय जनता की आशंकाएं
Himachal Minister Vikramaditya Singh ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में देश के हर कोने से लोग आते हैं और उनका स्वागत है। लेकिन उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि राज्य की कानून-व्यवस्था बनाए रखना सरकार की जिम्मेदारी है। सिंह के अनुसार, “राज्य के लोगों की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया था।”
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पहचान प्रमाणपत्र अनिवार्यता
Himachal Minister Vikramaditya Singh ने कहा कि राज्य सरकार का उद्देश्य सिर्फ यह सुनिश्चित करना है कि सभी वेंडिंग ज़ोन में पंजीकरण प्रमाणपत्र हो, चाहे वह आधार कार्ड हो या जीएसटी नंबर। उन्होंने जोर देकर कहा कि उनके बयान में कोई सांप्रदायिक मंशा नहीं थी।
विवाद और आलोचना
Himachal Minister Vikramaditya Singh के बयान ने कांग्रेस पार्टी को असमंजस में डाल दिया था, क्योंकि पार्टी ने पहले ही उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार के नामपट्ट आदेश का विरोध किया था। इस बीच, हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता जयराम ठाकुर ने इस कदम की आलोचना की और कहा कि यह “योगी मॉडल” का हिस्सा है।
ठाकुर ने सुक्खू सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि पहले उन्होंने वेंडर पॉलिसी लागू की और फिर उसे वापस ले लिया। उन्होंने कहा कि यह नियम पिछली सरकार के समय से लागू था, लेकिन सुक्खू सरकार ने इसे वापस ले लिया था।
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