Ashutosh Pratihast बिहार के सीतामणी के रहने वाले है। उनका जन्म एक छोटे से गांव हर्दिया में हुआ । बचपन के समय में आशुतोष काफी ज्यादा शरारती थे और उनके शरारत से घर वाले परेशान थे साथ ही आस पास के लोग ये सब देखते हुए कहने लगा आपका बेटा बर्बाद है कुछ नही कर पाएगा जिसकी वजह से उनके मां डिप्रेशन में आ गई।
Ashutosh Pratihast बिहार के सीतामढ़ी से हैं और उनके परिवार का बैकग्राउंड मजबूत नहीं था। उनके पिता ने कभी नौकरी नहीं की थी, लेकिन इसके बावजूद आशुतोष का बचपन बहुत ही शरारती रहा है। वह गांव में इधर-उधर घूमने और लड़ाई करने के शौकीन थे। इसके कारण गांव वाले उन्हें नकारते और उनकी मां को परेशान करते थे। लेकिन अक्सर ऐसा होता है कि समय के साथ इंसान अपनी गलतियों से सीख लेते हैं। इसी तरह आशुतोष ने भी जीवन में महत्वपूर्ण मोड़ लिए और उन्होंने कुछ ऐसा किया जिससे वह अब करोड़ों कमा रहे हैं। उनकी कहानी बहुत से लोगों के लिए प्रेरणादायक है।
Ashutosh Pratihast: बचपन में बहुत थे शरारती
Ashutosh Pratihast अपने गांव सीतामणी में सबसे शरारती बच्चो में से एक थे। जो पूरा दिन अपने दोस्तो के साथ मिलकर झगड़ा और शरारत करते रहते थे जिसकी वजह से उनके परिवार को गांव वाले ताने देने लगे आपका बेटा कुछ नही कर पाएगा आपका बेटा बर्बाद है जिसके वजह से उनकी मां को डिप्रेशन हो गया फिर जब उन्हें डॉक्टर को दिखाया गया तो डॉक्टर ने साफ कह दिया की उन्हें अगर डिप्रेशन से बाहर निकलना है तो आपको उन्हें उस माहौल से बाहर निकलना होगा ।
Ashutosh Pratihast: उनका परिवार दिल्ली शिफ्ट हो गया
डॉक्टर के सलाह के बाद 2005 में आशुतोष के पिता दिल्ली चले गए। वहा जाकर उन्होंने अपने लिए नया काम देखा कुछ दिन काम किया फिर उन्होंने पूरे परिवार को दिल्ली बुला लिया। आशुतोष और उसका परिवार जब दिल्ली शिफ्ट हो गया तब भी वो शरारती थे उनमें कुछ बदलाव देखने को नही मिला वो जो मन में आते थे वो करते थे जिसकी वजह से कई जगह उनके पिता को नुकसान के भरपाई करनी पड़ती थी।
Ashutosh Pratihast: 10th class तक का सफर
Ashutosh Pratihast के जीवन में एक महत्वपूर्ण पल था जब उन्हें पैसों की महत्वाकांक्षा का एहसास हुआ। उस समय उन्हें असम के एक केंद्रीय विद्यालय में भेज दिया गया, जहां उनकी फीस कम थी। यह उनके लिए एक बड़ी चुनौती थी क्योंकि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति उतनी मजबूत नहीं थी। असम में जाने से उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ा, जैसे कि भाषा का अंतर। इसके बावजूद, उन्होंने अपनी पढ़ाई में ध्यान दिया और कक्षा 7 में एक एग्जाम में पूरे मार्क्स प्राप्त किए। इससे उन्हें पाठ्यक्रम में बड़ी उपेक्षा मिली और वे अब जानते थे कि पढ़ाई में सफलता कितनी महत्वपूर्ण है। वे ने कक्षा 10 में भी बेहतरीन अंक हासिल किए, जो उनके लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ था।
गिटार बजाना सीख लिया
इस खुशी में आशुतोष के माता-पिता ने उन्हें गिटार लेकर दिया था। फिर कुछ ही समय बाद उन्हें गिटार बहुत अच्छे से बजाना आ गया। उसी दौरान उनके पिता की नौकरी चली गई। इसने घर की आर्थिक स्थिति को कमजोर कर दिया। उनके परिवार की स्थिति इतनी खराब हो चुकी थी कि उन्हें कर्ज मांगकर काम चलाना पड़ रहा था। आशुतोष ने सोचा की उन्हें अपने घर की इस खराब स्थिति से बाहर निकलना ही पड़ेगा। तब तक उन्होंने गिटार बजाना अच्छे से सीख लिया था। उन्होंने गिटार की ट्यूशन देना शुरू किया। इससे वह 6 हजार रुपये तक कमा लेते थे। फिर उन्होंने 12वीं क्लास भी पूरी कर ली। बोर्ड में उनके 92 फीसदी अंक आए। तब उनके रिस्तेदारों ने बोला कि उन्हें UPSC की दिशा में बढ़ना चाहिए। इसके बाद उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी में मोतीलाल नेहरू कॉलेज में एडमिशन ले लिया।
Ashutosh Pratihast: करियर की शुरुवात
Ashutosh Pratihast ने अपने करियर के शुरुवात कॉल सेंटर के जॉब से के जहां वो sim बेचा करते थे वो 15 हजार की जॉब की आशा में थे उस समय लेकिन उन्हें मिल नहीं पाई उन्होंने उस कॉल सेंटर में बहुत मेहनत करके जॉब की जहां उन्हें 7 हजार रुपए सैलरी और इंसेंटिव मिलाकर वो 10 हजार तक कमा लेते थे लेकिन वो अपने काम और पैसे से संतुष्ट नही थे फिर एक दिन उनके भाग्य ने उनका साथ दिया जब वो एक सिम बेचने के लिए एक ग्राहक को कॉल किया जिन्हें वो सिम बेचने में लगे हुए थे और उस ग्राहक को उनके सेल्स स्ट्रेटजी देख कर बहू आशचर्य हुआ क्यूंकि वो ग्राहक एक बढ़ी कंपनी का मालिक था उसने आशुतोष से पूछा आपको कितनी तनखाव मिलती है तो आशुतोष भी थोड़े तेज थे उन्होंने 15000 कहा तो फिर उस ग्राहक ने उन्हें ऑफर दिया में आपको 20000 महीने की सैलरी दूंगा आप हमारे यहां काम करो इस तरह उनको एक अच्छी कंपनी में जॉब मिली लेकिन आशुतोष अब इतने रुपए में खुश नही थे और वो नई – नई अवसर डुंडने लगे।
जिन्दगी में आया नया मोड़ नेटवर्क मार्केटिंग में रखा कदम
Ashutosh Pratihast अपनी लाइफ में नए – नए अवसर डूंडते – डुंडते एक दिन उनको किसी ने नेटवर्क मार्केटिंग कंपनी फॉरेवर लिविंग प्रोडक्ट्स के मार्केटिंग प्लान के बारे में समझाया और आशुतोष को ये मार्केटिंग प्लान बहुत आकर्षक लगा जैसे के खजाने के ताले की चाबी मिल गई हो और बिलकुल ऐसा ही हुआ उन्होंने जॉब के साथ फॉरेवर लिविंग बिजनेस किया और देखते ही देखते सुपरवाइजर लेवल अपना क्लियर किया जॉब छोड़ी फुल टाइम फॉरेवर लिविंग के बिजनेस प्लान में काम किया देखते ही देखते उन्होंने अपना मैनेजर लेवल भी क्लियर किया और फिर लॉकडाउन के चलते जब सभी लोग हार मान चुके थे तब उन्होंने एक नई तरकीब निकाली नेटवर्क मार्केटिंग बिजनेस को ही ऑनलाइन ला दिया जिसकी आशा कभी पूरी इंडस्ट्री में किसी ने भी नही की थी और फिर अपना सीनियर मैनेजर लेवल भी क्लियर किया। अब आशुतोष के मन में अपना खुद का ऐसा बिजनेस करने का ख्याल आया जिससे वो इंडिया के एजुकेशन सिस्टम में एक नई ऊर्जा ला सके।
IDIGITALPRENUR की शुरुवात
Ashutosh Pratihast ने नेटवर्क मार्केटिंग इंडस्ट्री में अपना बहुत नाम और पैसा दोनो कमाया इसके बाबजूद भी उनके मन में हमारे इंडियन एजुकेशन को लेकर खेद था जहां सभी बच्चे सिर्फ डिग्री के पीछे भाग रहे थे जिसको ध्यान में रखते हुए आशुतोष ने एक ऐसा एजुकेशन – टेक्नोलॉजी प्लेटफार्म शुरू किया जहां नई – नई तरह की स्किल्स सिखाई जाती है डिजिटल मार्केटिंग से लेकर स्टॉक मार्केट, ट्रेडिंग, इनफ्लुएंसिंग और कम्युनिकेशन स्किल्स सब सिखाया जाता है बहुत ही कम फीस में जिसकी वजह से इस कंपनी ने बेशुमार सफलता हासिल की और देखते ही देखते ये कंपनी करोड़ों की बन गई।
Youtube चैनल पर स्किल्स सिखाते हैं।
आशुतोष अपने यूट्यूब चैनल पर भी एजुकेशन, बिजनेस, फाइनेशियल नॉलेज और अपने अनुभव के विडियोज डालते रहते है जिससे लोगो को बहुत कुछ फ्री में सीखने को मिलता है अभी उनके यूट्यूब चैनल पर 12 लाख सब्सक्राइबर फैमिली है।
गाना गाने का भी है शोक
Ashutosh Pratihast को गाना गाने का शुरू से ही शोक था लेकिन वो अपनी आर्थिक स्थिति की बजे से सिंगिंग नहीं कर पाए लेकिन 1 साल के अंदर उन्होंने शिव भगवान पर राम भगवान पर कई धार्मिक गाने गए है जिससे उन्हें ऑडियंस का बहुत प्यार भी मिला है उनका अपना स्टूडियो भी है जिसका नाम स्वर मंडल है।
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